किसान साथियों भारत में आलू की खेती Aalu Ki Kheti एक दो राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में की जाने वाली खेती है किसान साथियों अगर आप आधुनिकता व उन्नत तकनीक के साथ खेती करते है तो आप लगभग 150 से 160 क्विंटल की पैदावार प्रतिहेक्टेयर पर प्राप्त कर सकते हो। किसान साथियों भारत में आलू का उपयोग सब्जी बनाने के साथ साथ चिप्स बनाने में व कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन बनाने में किया जाता है इसलिए आलू की मांग भारत में पुरे वर्ष भर रहती है।
किसान साथियों आप भी आलू की खेती करना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरुर पढियेगा और फिर आलू की खेती के लिए विचार विमर्श कीजियेगा। हम आपको इस लेख में आलू की खेती के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते बतायेंगे जिससे की आप आलू की खेती आसानी से कर सको और कम लागत में अच्छा मुनाफा भी कमा सको। किसान साथियों हम आपको बतायेंगे आलू की खेती के लिए आवयश्क जलवायु, मृदा, आलू की खेती के लिए बीज व बीज की मात्रा, आवयश्क खाद व उर्वरक की मात्रा, सिंचाई, बुवाई, व खुदाई आदि के बारे में हम आपको सविस्तार से बतायेंगे –
क्या है इस आर्टिकल मे
आलू की खेती के लिए जलवायु Aalu Ki Kheti
किसान साथियों आलू की फसल को समशीतोष्ण जलवायु की फसल माना जाता है जलवायु का आलू की खेती के लिए अनुकूल होना जरूरी है इस खेती में 25 से 30 डिग्री तापमान की आवयश्कता होती है आलू के कंद बनने तक तापमान अधिक होना चाहिए जिससे आलू का पोधा अच्छे से विकसित हो सके।
आलू की खेती के लिए मृदा
किसान साथियों आलू की खेती Aalu Ki Kheti के लिए दोमट व बलुआ मृदा को सबसे उपयुक्त माना गया है क्युकी इन मिट्टियों में जल निकास करने की शानदार क्षमता होती है जिससे आलू के पौधे का अच्छे से विकास हो सके साथ ही इस मिटटी का ph मान भी 6 से 8 तक रहता है जो की आलू की खेती के लिए बेहतरीन माना जाता है।
किसान साथियों आलू की खेती करने से पहले आप भूमि की 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करे और जुताई करने के बाद मिटटी के बने ढेलो को साफ़ कर दे या फिर अच्छे से फोड़ देवे। किसान साथियों आलू की खेती करने से पहले आप एक बार भूमि में पलेवा जरुर करे।
आवश्यक उर्वरक व खाद
किसान साथियों आलू की खेती करने के लिए खाद व् उर्वरको का उपयोग जरूरी है और खाद की बात करे तो पशुओ का गोबर खाद आलू की खेती के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है। खेती करने से पहले प्रति हेक्टेयर 20 से 30 टन खाद भूमि में जारूर दे खाद पोधो के विकास में काफी मददकार साबित होता है।
खाद को मिटटी में मिलाने के बाद ही आप भूमि की 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करे जिससे की खाद और मिटटी अच्छे से मिक्स हो जाए। उर्वरको की बात करे तो आपको आलू की खेती में पशुओ के गोबर खाद के साथ साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस, और जिंक तथा सल्फेट भी उचित मात्र में मिटटी को देना चाहिए जिससे की मिटटी और भी ज्यादा उपजाऊ बने और आपको खेती से अच्छा मुनाफा भी प्राप्त हो सके।
बीज व बीज की मात्रा
किसान साथियों आलू की खेती करने के लिए आपको बढिया एवं उत्तम बीज ही उपयोग में लेना चाहिए ऐसे बीज रोगाणुमुक्त होते है जिससे आपको आगे जाकर खेती में किसी भी प्रकार की बीमारी व् रोगों का सामना करना ना पड़े कई बार किसान सस्ते के चक्कर में हल्के बीज का इस्तेमाल करता है तो उसे आगे जाकर खेती में रोगों का सामना करना पड़ता है। इसलिए किसान साथियों आप जब भी खेती करो तो बढिया व् उन्नत बीज का ही इस्तेमाल करे।
प्रतिहेक्टेयर बीज की मात्रा की बात करे तो जब भी आप आलू की खेती करे तो आप एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बिच की 50 से 55 सेंटीमीटर रखे और आलू के एक पौधे की दुसरे पौधे से कम से कम 25 सेंटीमीटर की दुरी रखनी चाहिए।
आलू की बुवाई
किसान साथियों आलू की खेती में बुवाई की बात करे तो उत्तर भारत में आपको आलू की बुवाई नवम्बर माह के शुरुआत में ही कर देनी चाहिए जिससे की जनवरी माह के शुरुआत तक आलू की फसल पककर तेयार हो जाए। और किसान साथियों उत्तर पश्चिम भागो में आलू की खेती के लिए बुवाई सितम्बर महीने के अंत तक या अक्टूम्बर महीने के शुरुआत तक करनी चाहिए और किसान साथियों आलू की खेती में प्रतिहेक्टेयर बीज जी मात्रा की बात करे तो 28 से 30 किविन्टल तक बीज का इस्तेमाल होता है।
बीज कितने प्रकार के होते है Aalu Ki Kheti
किसान साथियों हम आपको निचे बता रहे है की बीज की कितनी किस्मे होती है जिसे देखकर आप कौनसी किस्म के बीज का चुनाव करते हो –
अगेती किस्म – किसान साथियों अगर आप आलू की अगेती खेती करते है तो आपको kufri, alnkar, pukraj, kufri ashoka, kufri chandrmukhi इन किस्मो के बीजो का इस्तेमाल करना चाहिए यह किस्मे आलू की अगेती खेती के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। इन किस्मो के आलू की खेती में लगभग 3 महीने में फसल पककर तेयार हो जाती है।
मध्यम समय में की जाने वाली आलू की खेती के बीज की प्रमुख किस्मे –
किसान साथियों मध्यम समय में की जाने वाली किस्मे है – kufri bhar, kufri lalima, kufri satluj, kurfi sadabahar, यह सभी आलू की मध्यम समय में की जाने वाली खेती की प्रमुख किस्मे है।
सिंचाई प्रक्रिया
किसान साथियों आलू की खेती में आपको बार बार सिंचाई की जरुरत होती है किसान साथियों आलू की खेती में सिंचाई करते समय एक बात का ध्यान रखे की पानी का किसी जगह पर भराव नही होना चाहिए। आपको आलू की खेती में पहली सिंचाई फसल के उगने पर करनी चाहिए व् दूसरी सिंचाई 15 दिन बाद करनी चाहिए। किसान साथियों जब आलू के कंद बनना शुरू हो जाए तो आपको सिंचाई 10 से 12 दिनों के अन्तराल पर ही कर देनी चाहिए जिससे आलू के कन्दो का अच्छे से विकास हो सके।
प्रति हेक्टेयर उत्पादन
आलू की खेती में प्रतिहेक्टेयर उत्पादन की बात करे तो आपको आलू की खेती में प्रतिहेक्टेयर हेक्टेयर लगभग 300 किविन्तल तक की आलू की उपज प्राप्त हो जाती है। आलू की खुदाई कैसे करे – किसान सहियो आलू की खेती में आलू की खुदाई तब करनी चाहिए जब आलू का छिलका सख्त होने लग जाए या फिर आलू के पौडे के पत्ते हरे से पीले रंग के हो जाए तब आपको आलू की खुदाई करनी चाहिए।
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Aalu Ki Kheti Kaise Kare FAQs –
उत्तर – पश्चिमी भागों मे आलू की बुवाई का सही समय अक्टुम्बर महीने का पहला पखवाड़ा माना जाता है। पूर्वी भारत मे आलू अक्टुम्बर के मध्य से जनवरी तक बोया जाता है। एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बिच की 50 से 55 सेंटीमीटर रखे और आलू के एक पौधे की दुसरे पौधे से कम से कम 25 सेंटीमीटर की दुरी रखनी चाहिए।
किसान भाइयों आलू की खेती मे फसल को तैयार होने मे लगभग 3 से 4 महीने का समय लगता है ओर 250 से 275 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है।
सितंबर महीने से ही किसानो रबी की फसलों की तैयारी शुरु कर देनी चाहिए। रबी सीजन की प्रमुख फसल आलू की बुवाई ये सही समय होता है।
सामान्यत अगेती फसल की बुवाई मध्य सितंबर से अकटुम्बर के प्रथम सप्ताह तक, मुख्य फसल की बुवाई मध्य अकटुम्बर के बाद करनी चाहिए।
किसान साथियों आलू की खेती मे सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली सिंचाई प्रणालियों मे टपकन सिंचाई ( व्यापक श्रम आवश्यक ), छिड़काव प्रणालिया, ऊपरी रेन गन, ओर बम सिंचाई शामिल है। एफएमओ के अनुसार, ज्यादा उत्पादन के लिए जलवायु के अनुसार 120 से 150 दिन की फसल के लिए 500 से 700 मिमी पानी की आवश्यकता होती है।
आलू की अच्छी पैदावार के लिए आपको खाद व उर्वरक का संतुलित प्रयोग करना चाहिए इसमे प्रति बीघा 20 किलो डीएपी, 14 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश, 21 किलो यूरिया, 2 किलो जंक सल्फेट, 4 किलो फेरस सल्फेट, 1 से 1.5 किलो बोरेक्स, एक किलो फोरेट 10 जी, दो सल्फर तथा 10-15 क्विंटक गोबर खाद का इस्तेमाल करना चाहिए – अमर सह के अनुसार
खेत की मिट्टी मे नमी 15 से 30 प्रतिशत तक कम होने पर सिंचाई करे। बलुई दोमट एंव दोमट मिट्टी मे 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करे। वही भारी मिट्टी मे 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करे।
एक एकड़ मे 22 से 25 क्विंटल बीज लगता है ओर उसके हिसाब से उपज निकलती है।
तो किसान साथियों उम्मीद करता हु आपको यह लेख पसंद आया होगा इसे अपने किसान भाइयों के साथ शेयर जरूर कीजिए कोई सभी सवाल हो तो आप हमे कमेन्ट भी कर सकते है लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।
ज्यादा जानकारी के लिए आप नीचे दिया गया विडियो भी देख सकते है –